Saturday, June 3, 2023

खामोश बचपन

Picture source :- Internet

खामोश बचपन

मेरे अन्दर मुझसे सुन्दर ईक बच्चा रहता है
दुनिया से अलग प्यार के लिए हुमकता है। 
चाहता है फिर से चहकना, खेलना फिर से गिरना 
अब जो गिरूँ तो सम्भालने को फिर इक हाथ बड़े 
फिर अन्धेरो मे चल सकु बिना डरे 
चाहता है कि रोने पर कोई चुप कराने वाला हो 
भीड़ मे मेरा हाथ पकड़ने वाला हो 
कि फिर तुतला कर बोल को जी चाहता है 
फिर आखं मिचौली खेलने को जी चाहता है 
फिर परियो के देश जाने को जी चाहता है 
उंगलीयो पर तारे गिनने को जी चाहता है 
बारिश के पानी पर फिर चले कश्ति हमारी 
फिर उड़े जहाज कागजो के आसमान को चिरते हुए 

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