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| Picture Source :- Internet |
"ना जाने क्यो"
ना जाने क्यो आज दिल में कसक सी उठ रही है
फिर तु क्यो याद आ रहा है, जाने क्या इच्छा हो रही है
भुल तो गया था तुझे, ईक टुटे ख्वाब की तरह
फिर क्यो नींद की सिंको में, चाहत के धागे उलझ रहे है
दिल फिर कुछ उधेड़ बुन में लगा है
शायद मुझमे तु कही अब दोबारा जिंदा हो रही हो
उस एक कश से उठते धुंए में तेरा चेहरा उभरा था
लगा युं कि मुस्कुराते हुए मेरे करीब आ रही हो
"लक्कि" यहाँ सबकी हस्ती मिटने वाली है
पर फिर भी सब गरुर में जीए जा रहे है।

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